सोनू सूद देश के सबसे पॉपुलर एक्टर बन गए हैं. कोरोना वायरस महामारी के दौरान से वह लाखों को लोगों की मदद कर चुके हैं. लोगों ने उन्हें मसीहा का दर्जा दिया है. हजारों लोग उनकी पूजा करते हैं. उन्होंने प्रवासी मजदूरों, कामगारों और लोगों की मदद की और उन्हें भोजन-आश्रय देने से लेकर हजारों लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने में हर संभव मदद की.
सोनू सूद बॉलीवुड इंडस्ट्री के सुपर स्टार है , जो की ज्यादातर विलेन का रोल प्ले करते है। सोनू सूद बॉलीवुड इंडस्ट्री के साथ साथ टॉलीवूड इंडस्ट्री में भी अपना नाम कमा चुके है। सोनू सूद फिलम इंडस्ट्री के विलेन है , जिसका मतलब ये नहीं की वह असल जिंदगी में भी एक विलेन है। परन्तु इसके विपरीत सोनू सूद रियल लाइफ के सुपर स्टार अथार्थ रियल लाइफ हीरो है। सोनू सूद ने बिना किसी का सहारा लिए बहुत से लोगो की मदद की है। सोनू सूद अभी हाल ही में अपने एक उच्च विचार और दयालु स्वभाव के कारण सम्पूर्ण भारतवर्ष में फेमस होगये थे। सोनू सूद को बहुत लोग प्यार करते है और कहीं लोग उनको भगवान का दर्ज़ा भी देते है।
मुंबई में सोनू सूद के घर आज भी सैकड़ों की संख्या में लोग मदद के लिए आते हैं. हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उनके घर के बाहर लोगों की लंबी कतार नजर आ रही थी. सोनू कोशिश करते हैं कि वह हर किसी की मदद करें.
सोनू सूद ने खुलासा किया कि वीक डेज पर कम से कम 150 से 200 लोग उनके घर आते हैं, जबकि शनिवार और रविवार को यह संख्या 500 से 700 तक पहुंच जाती है. सोनू ने यह भी शेयर किया कि उन्हें सोशल मीडिया के जरिए रोजाना मदद के लिए लगभग 30,000 से 40,000 रिक्वेस्ट मिलते हैं
सोनू सूद ने कहा, “जो लाइन आपने देखीं, वह एक रोजाना की है. रविवार को यहां लंबी कतारें लगती हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से मदद लेने के लिए मेरे घर के बाहर लगभग 500 से 700 लोग आते हैं.”
सोनू सूद ने कहा, “ सोशल मीडिया या ईमेल के माध्यम से हमसे संपर्क करने वाले लोगों की संख्या के बारे में बताऊं तो कोविड-19 के बाद से हर दिन लगभग 30-40 हजार मेल आते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इससे उनके रिहायशी इलाके में या उसके आसपास सुरक्षा की समस्या पैदा होती है? सोनू सूद ने असहमति जताई और कहा कि उनके पड़ोसी भी बहुत सहयोग करते हैं. उन्होंने कहा, “बिल्डिंग के लोगों को भी इसकी आदत है. बिल्डिंग में रहने वाले लोग उनकी मदद या घर में काम करने के लिए पूछते हैं. वे बहुत सहयोगी भी हैं. वे जानते हैं कि यह एक ऐसी जगह है जहां जरूरतमंदों के जीवन बदल सकते हैं
यह पूछे जाने पर कि क्या देश भर के लोगों द्वारा भेजे जाने वाले दुखी या दर्द भरे मैसेज पढ़ने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है? इस पर सोनू सूद ने कहा कि यह उन पर जिम्मेदारी की भावना डालता है.
सोनू सूद ने आगे कहा, “नहीं, यह मेरे कंधे पर एक अतिरिक्त जिम्मेदारी डालता है कि वे बहुत उम्मीद के साथ आ रहे हैं. और इसलिए मुझे यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सही है और मैं उनकी मदद करने में सक्षम हूं. यह मदद करने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी देता है.